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October 9, 2025
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हालात की शिकायत आपका तरीका नहीं-उम्मत को बेहतरीन उम्मत का अपेक्षित भूमिका अदा करना चाहिएः

मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द की कार्य समिति का महत्वपूर्ण सत्र सम्पन्न
मुल्क, मिल्लत, जमाअत और इंसानियत से जुड़े मसलों पर गहन विचार-विमर्श और कई अहम फैसले व प्रस्ताव पारित

नई दिल्ली:6 अक्टूबर 2025
मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द की कार्य समिति का एक अहम सत्र गत 5 अक्टूबर 2025 को सुबह 10 बजे अहले हदीस कम्पलैक्स, ओखला, नई दिल्ली में मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
सत्र की शुरूआत डाॅक्टर अब्दुल अज़ीज़ मुबारकपूरी उप अध्यक्ष मरकज़ी जमियत अहले हदीस हिन्द की तिलावते कुरआन से हुई। इसके बाद मर्कज़ी जमीअत अहले हदीस के अध्यक्ष मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफी का अध्यक्षीय संबोधन हुआ, जिसमें उन्होंने उपस्थित सदस्यों और ज़िम्मेदारों का स्वागत किया और उनके आगमन पर हार्दिक धन्यवाद किया।
उन्होंने मौजूदा हालात में अल्लाह की ओर बुलाने, शिक्षा और प्रशिक्षण, मानव सेवा, इंसानाी भाईचारा, एकता, राष्ट्रीय एकजुटता, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व और अल्लाह की ओर लौटने की अहमियत पर ज़ोर दिया और कहा कि हर दौर में हमारे पूर्वजों़ की यही पहचान रही है।
इसके बाद महा सचिव मौलाना मुहम्मद हारून सनाबली के निर्देश पर उप सचिव मौलाना मोहम्मद अली मदनी ने पिछली बैठक की कार्यवाही पढ़ी, जिसे सर्वसम्मपति से मंजूरी दी गई। फिर महा सचिव ने मर्कज़ी जमीअत की कार्य-प्रगति रिपोर्ट पेश की जिस पर सदस्यों ने पूर्ण संतोष और प्रसन्नता व्यक्त की।
इसके बाद दावत, संगठन, मिल्ली और मुल्की मसलों पर विचार-विमर्श हुआ, विशेष रूप से मदरसों के संरक्षण और अन्य सामयिक मुद्दों विचारा धीन रहे। वित्तीय व संगठनात्मक मामलों पर महा सचिव और कोषाध्यक्ष हाजी वकील परवेज ने ध्यान आकर्षित किया, जिन पर आवश्यक निर्णय लिए गए और सभी कार्यों को नए जोश और उत्साह से करने का संकल्प किया गया।
बैठक के अंत में मौजूदा परिस्थितियों के संदर्भ में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव व पारित किए गए और शेख अनीसुर्रमहान आज़मी की दुआ पर बैठक सम्पन्न हुई।
कार्य समिति के प्रस्तावों में इस्लामी शिक्षाओं के प्रसार, उनसे जुड़ी गलतफहमियों के निराकरण, और धर्मों के बीच संवाद की अहमियत पर ज़ोर दिया गया। राष्ट्रीय और समाजिक संगठनों के ज़िम्मेदारों व ओलमा से क़ौम व मिल्लत की तरक़्क़ी के लिए मिलजुल कर काम करने की अपील की गई। देश में आपसी भाईचारे और राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए ऐसे बयानों से बचने की अपील की गई जो गंगा जमुनी सभ्यता को नुक़सान पहुंचा सकते हैं। धार्मिक संस्थाओं की स्थिरता के साथ-साथ आधुनिक और व्यवसायिक शिक्षा संस्थानों की स्थापना को मिल्ली जिम्मेदारी बताया गया और संपन्न लोगों से सहयोग की अपील की गई। बैठक में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम पर मुस्लिम समाज और न्यायप्रिय नागरिकों की चिंताओं को व्यक्त किया गया और सर्वोच्च न्यायालय से न्यायसंगत निर्णय की आशा जताई गई। मीडिया की भूमिका को स्वीकार करते हुए उसे अपनी ज़िम्मेदारी निष्पक्ष रूप से निभाने और लोकतंत्र की रक्षा हेतु काम करने की अपील की गई। मुल्क और विदेश में होने वाली सभी प्रकार की आतंकवादी घटनाओं की निंदा करते हुए कार्य समिति ने अपने पुराने रूख को दोहराया कि आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना सरासर ग़लत और नाइंसाफ़ी है। साथ ही, वर्षों बाद निर्दोष साबित होकर रिहा हुए युवाओं की आर्थिक सहायता के लिए अदालतों से स्वतः संज्ञान लेने की अपील की गई। प्रस्ताव में प़ैग़म्बर स0 से प्रेम के प्रदर्शन के संदर्भ में की गई गिरफ्तारियों पर चिंता व्यक्त की गई और लोगों से संयम बरतने तथा विशेष रूप से युवाओं से किसी भी उकसावे में न आने की अपील की गई। देश में बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, शराबखोरी, दहेज प्रथा, गर्भ में कन्या हत्या और अन्य सामाजिक बुराइयों पर चिंता व्यक्त करते हुए उनके उन्मूलन की अपील की गई। कार्य समिति के प्रस्ताव में मर्कज़ी जीमअत अहले हदीस हिन्द के तत्वाधान में जारी 21वां अखिल भारतीय दो दिवसीय कुरआन हिफ़्ज़ तजवीद और तफ़्सीर प्रतियोगित के आयोजन को समय की आवश्यकता बताते हुए उसकी सराहना की गई। प्रस्ताव में पंजाब में आई बाढ़ और उत्तराखंड आदि में प्राकृतिक आपदाओं से हुए जन-धन के नुकसान पर दुःख व्यक्त करते हुए सरकारों और जनता से पीड़ितों की सहायता की अपील की गई। फ़िलिस्तीन में इज़राइल की अत्याचारी कार्रवाइयों, नरसंहार और भुखमरी जैसी अमानवीय हरकतों की कड़ी निंदा करते हुए विश्व समुदाय से फ़िलिस्तीन मुद्दे का शीध्र समाधान निकालने और फ़िलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र से मान्यता देने की अपील की गई। इसके अतिरिक्त मुल्क, मिल्लत और जमाअत की महत्वपूर्ण हस्तियों के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया और सभी मरहूमों के लिए दुआ-ए-मग़फ़िरत की गई

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