17.1 C
Delhi
December 23, 2024
NationalNews

दिल्ली में सड़क हादसे शून्य करने के लिए एक्शन मोड में केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली, 28 फरवरी, 2023*
दिल्ली में सड़क हादसे शून्य करने को लेकर केजरीवाल सरकार बेहद गंभीर है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने सड़क हादसों को कम करने के लिए की जा रही विभिन्न पहलों को लेकर आज उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इस दौरान सड़क सुरक्षा से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन कराने पर सहमति बनी। बैठक में बस-लेन प्रवर्तन, फ़रिश्ते स्कीम के प्रभाव का विश्लेषण, 100 स्कूलों पर सेफ्टी जोन का विकास और लेन नियमों का कड़ाई से पालन कराने का निर्णय लिया गया। सीएम ने वाहनों की गति सीमा को लेकर विस्तार से चर्चा की, ताकि शहर की सड़कों पर कोई दुर्घटना न हो और लोग सुरक्षित रहें। सीएम ने अधिकारियों से बस लेन पहल को जारी रखने और उसका सख्ती से पालन कराने को कहा है। साथ ही, यातायात अपराधों के लिए कंपाउंडिंग फीस का 50 फीसद सड़क सुरक्षा कोष में लगाने का निर्देश दिया गया। मुख्यमंत्री अब रोड सेफ्टी को लेकर चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट पर नजर रखने के लिए नियमित रूप से समीक्षा बैठक करेंगे।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने रोड सेफ्टी को लेकर हुई उच्च स्तरीय बैठक की जानकारी ट्वीट कर साझा किया और कहा, ‘‘सड़क सुरक्षा को लेकर आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक समीक्षा बैठक की। जिसमें बस-लेन प्रवर्तन, ़फरिश्ते स्कीम के प्रभाव का विश्लेषण, 100 स्कूलों पर सेफ्टी जोन का विकास और जीरो टॉलरेंस लेन पर महत्वपूर्ण चर्चा और फ़ैसले लिए गए। वाहनों की गति सीमा को लेकर भी विस्तार से चर्चा हुई, ताकि शहर की सड़कों पर कोई दुर्घटना न हो और लोग सुरक्षित रहें। इस उच्च स्तरीय बैठक में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत, मुख्य सचिव, परिवहन आयुक्त, आईआईटी एक्सपर्ट, पुलिस विशेष आयुक्त समेत दिल्ली सरकार के कई बड़े अधिकारी मौजूद रहे।
समीक्षा बैठक के दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने विभिन्न प्रोजेक्ट्स और प्रस्तावों का जायजा लिया, जिसमें सड़क सुरक्षा लीड एजेंसी की स्थापना, सड़क सुरक्षा कोष, प्रवर्तन उपाय, सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में कमी का वार्षिक लक्ष्य, दुर्घटना डेटा रिकॉर्डिंग और रिपोर्टिंग, पैदल यात्रियों की सुरक्षा के उपाय, ड्राइविंग लाइसेंस प्रणाली, ब्लैक स्पॉट की पहचान समेत अन्य बिंदु शामिल हैं। साथ ही, दिल्ली सरकार द्वारा सड़क सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदमों की भी समीक्षा की। जिसमें परिवहन विभाग की प्रवर्तन शाखा द्वारा बस लेन की पहल, सुरक्षित स्कूल जोन प्रोजेक्ट के तहत स्कूलों में सड़क सुरक्षा क्लबों की स्थापना, जागरूकता अभियान का संचालन, गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट मैकेनिज्म को मजबूत करना, सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन, जिला सड़क सुरक्षा आयुक्तों द्वारा समय-समय पर की जाने वाली बैठकों, दिल्ली सड़क दुर्घटना मृत्यु रिपोर्ट-2020 और 2021, डेटा टू एक्शन रिपोर्ट, अधिकारियों का प्रशिक्षण और एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) शामिल है।
इस दौरान अधिकारियों ने एक प्रजेंटेशन के जरिए सीएम को अवगत कराया कि राष्ट्रीय और राज्य की सड़कों पर 47 फीसद दुर्घटनाएं होती हैं, जबकि यह सड़क नेटवर्क शहर की सड़कों का मात्र 10 फीसद ही है। आंकड़ों के अनुसार, दुर्घटनाओं के पीछे ओवरस्पीडिंग सबसे प्रमुख कारण है। वाहन चालक चौड़ी सड़कों पर तेज गति से वाहन चलाते हैं। स्कूल, मेट्रो स्टेशन और व्यवसायिक एरिया में इस तरह की दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। यहां पैदल यात्री सड़कों से अधिक गुजरते हैं।
हाल ही में, दिल्ली सरकार ने सड़क सुरक्षा प्रैक्टिसेज का अध्ययन करने के लिए जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय की इंटरनेशनल इंजरी प्रिवेंशन यूनिट एंड सीएसआईआर की केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था। इसके तहत 225 ऑब्जर्वेशन सेशन और 20250 मिनट के ऑब्जर्वेशन के साथ 15 स्थानों पर ऑब्जर्वेशन स्टडी की गई। इस स्टडी में दो पहिया वाहनों के लिए हेलमेट पहनने, चार पहिया वाहनों के लिए सीट बेल्ट लगाने और तेज गति से चलने वाले वाहनों के आंकड़ों को देखा गया। स्टडी के अनुसार, 87 फीसद मोटरसाइकिल चालकों को हेलमेट पहने देखा गया, 66 फीसद चालकों ने सही तरीके से हेलमेट पहना था। 94 फीसद चालकों को पूरी तरह हेलमेट का उपयोग करते पाया गया, जबकि सही हेलमेट का उपयोग 71 फीसद पाया गया। वहीं, सभी चार पहिया वाहन चालकों में से 65 फीसद सीट-बेल्ट का उपयोग करते पाए गए। 85 फीसद चालक सीट-बेल्ट पहन कर वाहन चलाते हैं। पीछे की सीट वाले यात्री (1 फीसद) से आगे की सीट वाले यात्रियों में सीट-बेल्ट पहनने का अनुपात (74 फीसद) अधिक पाया गया। इसमें पांच साल से कम उम्र के 14 फीसद और 5 से 11 साल के 3 फीसद बच्चों को सुरक्षा उपायों का उपयोग करते पाया गया। स्पीड स्टडी के तहत 98,294 वाहनों को शामिल किया गया और यह पाया गया कि सभी वाहनों की औसत गति 44 किमी प्रति घंटा है, जबकि लगभग 21 फीसद वाहन निर्धारित गति सीमा से अधिक गति से चल रहे हैं। वहीं, हर दूसरी मोटरसाइकिल ओवरस्पीड है, लगभग 50 फीसद हल्के ट्रक, कार, ऑटो और ट्रक ओवरस्पीडिंग में चल रहे रहे हैं। इसके अलावा, अधिकांश कारें शहर के अंदर 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं और करीब 8.5 फीसद कारें, 10.2 फीसद लाइट पिकअप ट्रक 80 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार से चलती हैं। अधिकांश दो पहिया वाहन शहर के अंदर 40-60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलते पाए गए।
स्टडी के उपरांत तीन प्रमुख निष्कर्ष निकाले गए। पहला, हेलमेट क्लैस्पिंग नियम को तत्काल लागू करने की जरूरत है। दूसरा, पिछली सीट के यात्रियों के लिए सीट-बेल्ट लागू करने और बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देने की आवश्यकता है। तीसरा, ट्रकों और हल्के पिकअप ट्रकों के लिए तत्काल गति प्रवर्तन आवश्यक है।
सड़क सुरक्षा के लिए इंस्टीट्यूशनल रिस्पॉस का आकलन करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने 2017 में यातायात पुलिस, पीडब्ल्यूडी, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और सीएटीएस के साथ स्थापित सड़क सुरक्षा लीड एजेंसी पर भी गौर किया। इस एजेंसी का उद्देश्य बहु हितधारक परामर्श करना, सड़क सुरक्षा योजना तैयार करना और सड़क दुर्घटनाओं की समीक्षा करना है। साथ ही, मुख्यमंत्री को सर्वाेच्च न्यायालय के निर्देश पर 2017 में स्थापित एक करोड़ रुपए के सड़क सुरक्षा कोष का विवरण भी दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि दिशा-निर्देशों के अनुसार फंड में सरकार द्वारा एकत्र किए गए यातायात अपराधों के लिए कंपाउंडिंग फीस का 50 फीसद शामिल होना चाहिए और अधिकारियों को इसे तुरंत लागू करने का निर्देश दिया। सीएम ने कहा कि अगर कंपाउंडिंग फीस को फंड में जोड़ दिया जाए तो सरकार रोड सेफ्टी पहलों को अच्छी तरह से धरातल पर लागू कर पाएगी।
रोड क्रैश डेथ रिडक्शन टारगेट की समीक्षा करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसकी संख्या पर चिंता व्यक्त की और गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट मैकेनिज्म का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट मैकेनिज्म को मजबूत करने के इरादे से ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना शुरू की थी, जिसके परिणाम स्वरूप हजारों लोगों की जान बचाई गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से और लोगों की जान बचाने और दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को रोकने में मदद मिल सकती है। इस योजना ने पिछले दो वर्षों में लगभग 13,000 मामलों में मुफ्त इलाज प्रदान करने में मदद की है। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस योजना का अध्ययन कर इसके प्रभाव का आकलन किया जाए कि हादसे में गंभीर रूप से घायल कितने लोगों को उपचार दिया गया और कितनों को साधारण चोट चलने पर उपचार दिया गया।
इस दौरान दिल्ली सरकार की बस लेन मार्किंग पहल पर चर्चा हुई। अप्रैल 2022 में, परिवहन विभाग ने बसों और भारी वाहनों के लिए बस लेन पहल को सख्ती से लागू कराया था। बस लेन को सड़क के सबसे बाईं ओर सीमांकित किया गया है, ताकि सड़क पर वाहनों के आवागमन में कोई अवरोध न हो और लोग परेशानी मुक्त सफर का अनुभव ले सकें। विभाग ने बस लेन के प्रभाव का आईआईटी दिल्ली के साथ एक अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि अक्सर लोग अवैध रूप से अपने वाहनों को बस लेन में पार्क कर देते हैं। साइकिल और ई-रिक्शा जैसे धीमी गति से चलने वाले वाहन बस लेन की जगह ले लेते हैं और कुछ मामलों में यात्रियों की भीड़ भी बस लेन में आ जाती है। जिसके चलते यातायात बाधित होता है और ट्रैफिक की गति प्रभावित होती है। विभाग ने इस समस्या को दूर करने के लिए दो महत्वपूर्ण उपायों का सुझाव दिया है।
पहला, एनडीएमसी क्षेत्र, बाहरी और आंतरिक रिंग रोड जैसी प्रमुख सड़कों पर ‘जीरो टॉलरेंस कॉरिडोर’ स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के अंतर्गत, पीडब्ल्यूडी बस लेन पहल का समर्थन करने के लिए नई बस लेन मार्किंग को लागू करेगा। ट्रैफिक पुलिस बस लेन में पार्क किए गए वाहनों को हटाएगी और एमसीडी व एनडीएमसी जीरो टॉलरेंस कॉरिडोर पर अतिक्रमण हटाने का कार्य करेगी। दूसरा, बस लेन की रीडिजाइनिंग करने का प्रस्ताव दिया है। विभाग ने धीमी गति से चलने वाले वाहनों को रास्ता देने और बस लेन को मुक्त रखने के लिए चौड़ी सड़कों पर बस लेन को फिर से डिजाइन करने का सुझाव दिया है। इसके तहत सड़कों के बिल्कुल बायीं ओर फुटपाथ के साथ एक छोटी लेन चिन्हित की जाएगी। यह बस लेन को 1-2.5 मीटर दाहिनी ओर स्थानांतरित कर देगा, जिससे यातायात की आवाजाही अधिक सुविधाजनक और आसान हो जाएगी।
इस संबंध में सीएम अरविंद केजरीवाल ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे परियोजना को अपने हाथ में लें और दिल्ली पुलिस के साथ-साथ प्रवर्तन विभाग भी अपनी सतर्कता बढ़ाए, ताकि इसे बेहतर तरीके से अमल में लाया जा सके।
इस दौरान विभाग ने 15 चौराहों पर रोड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट्स (सड़क सुधार परियोजनाओं) को लेकर प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत की। परिवहन विभाग की ओर से पैदल चलने वालों की परेशानी कम करने के लिए मूवेबल स्ट्रीट फ़र्नीचर, जंक्शन रिडिजाइन, सामरिक शहरीकरण जैसे हस्तक्षेपों को लागू किया गया है। इन हस्तक्षेपों को लागू करके परिवहन विभाग 15 चौराहों पर ट्रैफिक जाम को काफी हद तक कम करने में कामयाब रहा है।
दिल्ली गेट जंक्शन के पहले और बाद की तस्वीरें पेश करते हुए अधिकारियों ने बताया कि सरकार के प्रयासों से 70 फीसद टकराव एरिया कम हो गया है। पैदल यात्री क्रॉसिंग दूरी में 33 फीसद की कमी आई है, सीधे जाने वाली यातायात दूरी में 35 फीसद और दाएं मुड़ने वाली यातायात दूरी पर 33 फीसद की कमी आई है। यहां, सरकार ने यातायात लेन की संख्या में कमी किए बिना मध्यवर्ती 2500 वर्ग मीटर रिफ्यूज आइलैंड और 2 हजार वर्ग मीटर पैदल यात्री क्रॉसिंग को रिक्लेम्ड किया है। अधिकारियों ने राजेंद्र नगर में मंगोलपुरी फ्लाईओवर और साथ वाले प्रोजेक्ट की प्रगति के साथ उपलब्धियों को भी पेश किया।
मुख्यमंत्री ने एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आईआरएडी) की भी समीक्षा की। प्रोजेक्ट को मार्च 2022 में लांच किया गया था, जिसका लक्ष्य क्रैश के एकीकृत डेटा ढांचे को प्राप्त करना है। इसमें, क्रैश एंट्री का पहला बिंदु यातायात पुलिस द्वारा किया जाता है और बाद में परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी और हेल्थ ट्रामा सेंटर केंद्रों द्वारा डेटा इंट्री की जाती हैं। यह रूपरेखा सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने और हस्तक्षेप कर उसे कम करने में मदद करती है। सीएम ने पाया कि कुछ हितधारकों को पोर्टल पर डेटा अपलोड करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि इसके लिए मैन पॉवर की जरूरत थी। सीएम ने अधिकारियों को पोर्टल को सरल बनाने का निर्देश दिया है, ताकि सभी हितधारक आसानी से इसका उपयोग कर सकें। अधिकारियों ने दिल्ली में सड़क हादसों को कम करने के साथ प्रवर्तन और प्रशिक्षण से कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए प्लान भी पेश किया।
अधिकारियों ने प्रजेंटेशन के जरिए सेफ स्कूल जोन स्थापित करने का रोडमैप भी प्रस्तुत किया। दिल्ली भर में 11 स्कूलों को स्कूल प्राधिकरण और छात्रों के साथ सेफ स्कूल जोन के मॉडल को कोडिजाइन करने और समाज-सरकारी साझेदारी से लागू करने के लिए पहले ही चुना जा चुका है। शिक्षा विभाग ने स्कूलों में सड़क सुरक्षा क्लब स्थापित किया है। पहला सेफ स्कूल जोन वसंत कुंज डीएवी में स्थापित किया गया था। यहां गति ठीक करने के उपायों, वाहनों की आवाजाही की योजना, सुरक्षित पैदल यात्री क्रॉसिंग के साथ स्टूडेंट फ्रैंडली स्ट्रीट्स का निर्माण किया जा रहा है। सरकार अब 100 सेफ स्कूल जोन के लिए पायलट योजना को आगे बढ़ाएगी।
बैठक के दौरान कई संभावित हाई लेवल पॉलिसी पर भी चर्चा की गई। जिसमें डीएम के नेतृत्व वाली जिला सड़क सुरक्षा समितियों के माध्यम से ब्लैकस्पॉट में सुधार, शहर में गति सीमा की समीक्षा, शिक्षा विभाग द्वारा सड़क सुरक्षा क्लबों की शुरुआत, हेलमेट के इस्तेमाल के लिए रणनीतिक स्थानों पर एआई कैमरों की स्थापना, नॉन पीक आवर्स में ज्यादा जोखिम वाले स्थानों में गति प्रवर्तन, ओवरलोडेड वाणिज्यिक वाहन, लेन विनियमन और हिट एंड रन मामले शामिल हैं।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परिवहन विभाग को सड़क सुरक्षा पहल के तहत उसकी सभी सिफारिशों, प्रस्तावों और परियोजनाओं के लिए समय सीमा तैयार करने का निर्देश दिया है। सीएम ने कहा कि वे अब व्यक्तिगत रूप से विभाग के साथ नियमित तौर पर बैठक कर प्रोजेक्ट्स की प्रगति पर नजर रखेंगे। साथ ही यह भी देखेंगे कि यह पहल लोगों की जिंदगी को बचाने में कितना अहम साबित हो सकती है।

Related posts

BBC के दिल्ली और मुंबई दफ्तर में IT का सर्वे आज भी जारी..

Awam Express Journey

कटोरा-भिखारी से लेकर सबक सीखने तक, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पांच बड़े बयान

Awam Express Journey

2000 रुपये के नोट की वापसी की वजह से बढ़ी है सोने की खरीद