28.1 C
Delhi
October 9, 2025
DelhiIndia

’22 अप्रैल से 17 जून के बीच पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच नहीं हुआ कोई फोन कॉल’ संसद में विदेश मंत्री जयशंकर का खुलासा

संसद के मानसून सत्र का छठा दिन ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए समर्पित था। इस चर्चा की शुरुआत विदेश मंत्री राजनाथ सिंह ने की इसके बाद पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं ने अपनी बातें रखीं। विपक्षी नेताओं ने ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर को लेकर कई सवाल भी खड़े किए। इनका जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि  22 अप्रैल से 17 जून के बीच पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई।विदेश मंत्री की बात सुनने के बाद विपक्ष के नेता हंगामा करने लगे। ऐसे में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि विदेश मंत्री जिन्होंने निष्ठा की शपथ ली है। वह कुछ कह रहे हैं, लेकिन कांग्रेस के नेताओं को उन पर भरोसा नहीं है। इसी वजह से ये लोग अगले 20 साल तक वहीं बैठे रहेंगे, जहां वह अभी हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद कैसे हुआ सीजफायर?

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकाने तबाह किए थे। इस दौरान किसी भी आम नागरिक या सैन्य ठिकाने को नुकसान नहीं हुआ था। हालांकि, पाकिस्तान सेना ने जवाब में भारत पर मिसाइल और ड्रोन से हमले किए। भारत ने इन हमलों को नाकाम करते हुए पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई की। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया। हालांकि, इससे पहले भारत ने पाकिस्तानी वायुसेना के 11 ठिकानों को निशाना बनाया था और कम से कम 20 फीसदी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ को फोन किया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर हुआ।

अमेरिकी राष्ट्रपति करते रहे हैं युद्ध रुकवाने का दावा

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की जानकारी सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही दी थी। उन्होंने दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का दावा भी किया था। इसके बाद भी वह लगातार दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का दावा करते रहे हैं। हालांकि, भारत सरकार साफ कर चुकी है कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद ही सीजफायर हुआ था।

सुरक्षा परिषद ने आतंकी हमले का विरोध किया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “हमारी कूटनीति का केंद्र बिंदु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद था। हमारे लिए चुनौती यह थी कि इस विशेष समय में, पाकिस्तान सुरक्षा परिषद का सदस्य है। सुरक्षा परिषद में हमारे दो लक्ष्य थे। पहला सुरक्षा परिषद से जवाबदेही की आवश्यकता का समर्थन प्राप्त करना और दूसरा इस हमले को अंजाम देने वालों को न्याय के कटघरे में लाना। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि यदि आप 25 अप्रैल के सुरक्षा परिषद के बयान को देखें, तो सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने इस आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है। और सबसे महत्वपूर्ण बात, परिषद ने आतंकवाद के इस निंदनीय कृत्य के अपराधियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर जोर दिया।”

Related posts

शिक्षा और शांति के तीन दशक पूरे होने पर दर्शन एजूकेशन फाऊंडेशन भारत मंडपम में मनाने जा रहा है अपनी 30वीं वर्षगांठ

Awam Express Journey

खसरा और रूबेला के खिलाफ जारी है जंग…

Awam Express Journey

बिहार हिंसा :उपद्रवियों की पहचान करके सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए :नीतीश कुमार