मरकज़ी जमीयत अहले हदीस हिन्द के तत्वावधान में इक्कीसवाँ अखिल भारतीय दो दिवसीय हिफ़्ज़, तज्वीद व तफ़्सीर क़ुरआन करीम प्रतियोगिता का भव्य शुभारंभ
पूरे देश से सात सौ हाफ़िज़ों, क़ुर्रा और ओलमा ने भाग लिया
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर 2025
पवित्र क़ुरआन के संदेश “अम्न और इंसानियत” को आम करना आज के दौर की सबसे बड़ी ज़रूरत है। जहाँ क़ुरआन होगा वहाँ अम्न-व-अमान क़ायम रहेगा, इंसानियत, भाईचारा, मोहब्बत, इंसाफ़ और बराबरी की इस्लामी शिक्षाएँ आम होंगी, और क़ानून का वर्चस्व रहेगा। हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमें हर हाल में क़ुरआन के अम्न व शांति के संदेश को दुनिया तक पहुँचाना है। आप जहाँ भी हैं, क़ुरआन की बरकत से महफ़ूज़ हैं। कोशिश कीजिए कि पूरी दुनिया पवित्र क़ुरआन की ठंडक से महक उठे। प्रतियोगिता में दिल लगाकर हिस्सा लीजिए, चाहे इनाम न भी मिले, मगर आप क़ुरआन की बरकत से एक ऊँचे दर्जे पर हैं। इन विचारों को मरकज़ी जमीअत अहले हदीस हिन्द के अमीर मौलाना असगर अली इमाम महदी सलफ़ी ने व्यक्त किया। वे जमीयत के तत्वावधान में आयोजित इक्कीसवें ऑल इंडिया हिफ़्ज़, तज्वीद व तफ़्सीर क़ुरआन करीम प्रतियोगिता के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे थे।
अध्यक्ष महोदय ने कहा कि यह बेशक एक मुबारक और अहम आयोजन है, क्योंकि इसका संबंध ख़ुद पवित्र क़ुरआन से है। क़ुरआन के हाफिज़ जो ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर लिए हुए हैं, वह बहुत बड़ी अमानत है। क़ुरआन को उसी तरह पढ़ना, समझना और उस पर अमल करना हम सब पर फ़र्ज़ है। अगर हम इनमें से किसी पहलू को नज़रअंदाज़ करें तो हम क़ुरआन को छोड़ने वाले समझे जाएँगे। उन्होंने कहा कि पवित्र क़ुरआन की हिफ़ाज़त के साथ-साथ मदरसों की हिफ़ाज़त और मज़बूती भी उतनी ही ज़रूरी है।
अध्यक्ष महोदय ने सभी प्रतिभागियों, परीक्षकों, मेहमानों और कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मदरसों पर झूठे इल्ज़ाम लगाने वाले लोग निंदनीय हैं। उन्होंने याद दिलाया कि मरकज़ी जमीअत की आतंकवाद विरोधी मुहिम के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री श्री शिवराज पाटिल ने खुलकर कहा था कि मदरसों का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है, बल्कि वे अम्न और इंसानियत के केंद्र हैं। उन्होंने कहा था कि क़ुरआन को हर घर तक पहुँचाना चाहिए ताकि न्याय और शांति विकसित हो।
इस प्रतियोगिता का शुभारंभ आज सुबह 9 बजे जामे मस्जिद अहले हदीस कॉम्प्लेक्स, ओखला, नई दिल्ली में हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत क़ारी शाहनवाज़ जामिया इस्लामिया फैज़े आम, मऊ की तिलावत से हुई।
कन्वीनर डॉ. मोहम्मद शीश इदरीस तैम़ी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि इस साल की प्रतियोगिता सबसे बड़ी है, जिसमें देशभर के 100 से अधिक मदरसों के लगभग 700 छात्र भाग ले रहे हैं।
महा सचिव मौलाना मोहम्मद हारून सनाबिली ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य मदरसों के विद्यार्थियों में हिफ़्ज़, तज्वीद और तफ़्सीर-ए-क़ुरआन का जज़्बा पैदा करना है। उन्होंने मरकज़ी जमीअत के अध्यक्ष महोदय के तत्वाधन में जमीअत की लगातार प्रगति पर खुशी जताई।
डॉ. अब्दुर्रहमान अब्दुल जब्बार परिवाई, संस्थापक दारुद्दअवा दिल्ली ने कहा कि जमीअत की विविध सेवाएँ सरहनीय हैं। उन्होंने कहा कि जमाअत अहले हदीस का मक़सद हमेशा से सही दीन की तालीम को हर मज़हब और वर्ग तक पहुँचाना रहा है।
क़ारी अलाउद्दीन क़ासमी, दारुल उलूम देवबंद, वक़्फ़ ने कहा कि जमीअत के कार्यक्रम हमेशा अनुकरणीय और असरदार होते हैं। उन्हें चौथी बार इस प्रतियोगिता में शामिल होने का मौक़ा मिला, जिसे उन्होंने इसको अपनी सौभाग्य की बात बताया।
इस अवसर पर अन्य प्रमुख हस्तियों में मौलाना मोहम्मद अली मदनी, मौलाना मोहम्मद इब्राहीम मदनी, डॉ. नदीम अहमद, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, मौलाना असअद आज़मी, हाफ़िज़ मोहम्मद ताहिर सलफ़ी, और मौलाना अब्दुल क़ुद्दूस उमरी आदि ने अपने विचार रखे।
अंत में हाजी वकील परवेज़, नाज़िमे मालीयात ने सभी प्रतिभागियों, उनके अभिभावकों और मदरसों का शुक्रिया अदा किया और अध्यक्ष महोदय की सेवाओं को सराहा।
यह प्रतियोगिता देश के विभिन्न हिस्सों से आए लगभग 700 हाफ़िज़ों और ओलमा के बीच कुल छह श्रेणी में आयोजित की जा रही है।
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कल रविवार शाम मग़रिब की नमाज़ के बाद विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्रदान करने का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश की कई महत्वपूर्ण हस्तियाँ शामिल होंगी।