हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भूस्खलन के कारण एक हिंदू मंदिर के ढह जाने से मरे. अधिकारियों को मलबे के नीचे और लोगों के फंसे होने की आशंका है. कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से हिमालय में कई गाड़ियां बहने के साथ ही इमारतें ध्वस्त हो गईं हैं. इसके अलावा पुल भी नष्ट हो गए हैं. हालांकि बाढ़ और भूस्खलन भारत के मानसून के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बनते हैं. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से गंभीरता को बढ़ा रही है. रविवार से अब तक हिमाचल प्रदेश में 50 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके साथ ही सड़कों, बिजली लाइनों और संचार नेटवर्क में व्यवधान के कारण हजारों लोग फंसे हुए हैं.हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार देर रात एक बयान में कहा, “राहत और बचाव कार्य में यथासंभव कर्मियों को तैनात किया जा रहा है.” सुक्खू ने पहले कहा था कि भूस्खलन के बाद 20 अन्य लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका है. उन्होंने निवासियों से घर के अंदर रहने और नदियों के पास जाने से बचने की अपील की है. हिमाचल प्रदेश के बुरी तरह प्रभावित इलाकों की तस्वीरें शवों को मिट्टी के ढेर से बाहर निकालते दिखा रही हैं. इन्हीं मिट्टी के ढेरों की वजह से इमारतें ढह गई हैं और छतें टूट गई हैं.