भारत और चीन के कूटनीतिक और कारोबारी रिश्तों के लिए 26 अक्टूबर की तारीख ऐतिहासिक होने जा रही है। पांच वर्षों के अंतराल के बाद दोनों देशों के बीच इसी दिन सीधी विमान सेवा शुरू होगी। भारत के पूर्वी बड़े महानगर कोलकाता से चीन के ग्वांगझू के बीच भारत की बड़ी विमान कंपनी इंडियो उड़ान शुरू करने जा रही है। इस उड़ान के शुरू होने के बाद उम्मीद है कि चीनी विमान कंपनियां भी भारत के लिए उड़ान शुरू करेंगी। इस वजह से दोनों देशों के बीच जहां कारोबारी रिश्ते बेहतर होंगे, वहीं पर्यटन को बढ़ावा मिलने की संभावनाओं के नए दरवाजे खुलेंगे।
जनसंख्या के लिहाज से कोलकाता भारत का तीसरा बड़ा और सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के लिहाज से दूसरा बड़ा शहर है। वहीं वैज्ञानिक अनुसंधान के नजरिए से देखें तो कोलकाता का स्थान भारत में अव्वल है। कोलकाता के पास भारत का पांचवां सबसे बड़ा बंदरगाह है। वहीं चीन का ग्वांगझू शहर यहां के गुआंगडोंग प्रांत की राजधानी है। ग्वांगझू की ख्याति दक्षिणी चीन के सबसे बड़े औद्योगिक, आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में है। चीन के चोटी के 10 सबसे बड़े शहरों में ग्वांगझू का स्थान पांचवां है। हांगकांग और मकाऊ के नजदीक स्थित यह शहर पर्ल रिवर डेल्टा क्षेत्र में स्थित है। जाहिर है कि इन शहरों के बीच सीधी हवाई सेवा उपलब्ध होने के अपने प्रतीकात्मक महत्व हैं। यहां ध्यान देना चाहिए कि कोलकाता में अठारहवीं सदी से चीनी समुदाय के लोग रह रहे हैं। जिनकी संख्या करीब चार हजार है। जहां तक चीन में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों की संख्या भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, 44 हजार से कुछ ज्यादा है।
चीन के लिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद होने से पहले दोनों देशों के बीच यात्रियों की भारी संख्या का आवागमन हो रहा था। जाहिर है कि इसमें सबसे ज्यादा कारोबारी थे, जबकि दूसरे नंबर सैलानी और तीसरे नंबर पर छात्र थे। अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक आंकड़े के लिहाज से साल 2018 में भारत से जहां तीन लाख 27 हजार 53 यात्री चीन गए। यह आंकड़ा एक साल पहले से कम रहा। साल 2017 में तीन लाख 31 हजार 218 भारतीय चीन गए थे। भारत से चीन जाने वाले यात्रियों की बढ़ती संख्या के लिए बढ़ती आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों को माना जा रहा है। साल 2001 में भारत से चीन जाने वाले लोगों की संख्या एक लाख 80 हजार ही थी। यह संख्या और उसमें हो रही बढ़ोत्तरी के आंकड़े दोनों देशों के बीच बढ़ते कारोबारी और सैलानी रिश्तों की गवाही दे रहे हैं।
आर्थिक और पर्यटन के मानचित्र पर चीन के लिहाज से भारत की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2019 में चीन से भारत जाने वाले यात्रियों की संख्या सात लाख 70 हजार रही, जिनमें तीन लाख 40 हजार अकेले सैलानी थे। भारत और चीन दोनों की जनसंख्या को मिला दें तो यह ढाई अरब से ज्यादा है। चीन जहां दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था वाला देश है, वहीं भारत पांचवें नंबर की आर्थिकी के साथ आगे बढ़ रहा है। इतना ही नहीं,भारत और चीन के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं। चीन की करोड़ो बौद्ध जनसंख्या के आराध्य भगवान बुद्ध से जुड़े तीर्थ स्थल मसलन गया, सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती भारत में ही हैं। सांस्कृतिक और धार्मिक रिश्ते, दोनों देशों की जनसंख्या और आर्थिकी के लिहाज से होना तो यह चाहिए था कि दोनों देशों के बीच कारोबार, पढ़ाई-लिखाई और पर्यटन के लिए ज्यादा यात्रियों की आवाजाही हो। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। बहरहाल दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू होने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि अब दोनों देशों के कारोबारियों, छात्रों और सैलानियों का आवागमन बढ़ेगा। इससे एशिया के दोनों पड़ोसियों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक रिश्ते प्रगाढ़ होंगे। इंडियो की ओर से शुरूआत हो रही है, चीन की ओर से भी ऐसी शुरूआत होगी। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बीच पिछले दिनों हुई मुलाकात ने दोनों देशों को करीब आने का जो मौका दिया, उसी वजह से सीधी विमान सेवाएं शुरू होने जा रही हैं।
(लेखक— उमेश चतुर्वेदी)