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October 9, 2025
InternationalNews

अमेरिकी विदेश मंत्री 5 साल बाद चीन पहुंचे

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन रविवार सुबह चीन पहुंचे। वो पिछले 5 सालों में चीन पहुंचने वाले पहले अमेरिकी डिप्लोमैट हैं। दौरे के तहत ब्लिंकन रविवार को चीन के विदेश मंत्री किन गैंग से मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय मुद्दों और तनाव खत्म करने को लेकर चर्चा होगी। इसके बाद ब्लिंकन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात कर सकते हैं।

इससे पहले फरवरी में ब्लिंकन चीन का दौरा करने वाले थे, लेकिन तब अमेरिका में चीन का जासूसी बैलून दिखने को लेकर हुए पूरे विवाद के बाद अमेरिका ने दौरा रद्द कर दिया था। इसके बाद ताइवान और साउथ चाइना सी को लेकर भी दोनों देशों में तनाव जारी है। ऐसे में ये दौरा अमेरिका और चीन के रिश्तों के लिए अहम माना जा रहा है।

पिछले 5 साल में ये पहला मौका है जब कोई अमेरिकी डिप्लोमैट चीन के दौरे पर पहुंचा है।

ब्लिंकन बोले- चीन की कैद में मौजूद अमेरिकी नागरिकों का मुद्दा उठाएंगे
ब्लिंकन की इस यात्रा का सबसे जरूरी मकसद दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारना है। शनिवार को अमेरिका से निकलने से पहले ब्लिंकन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था- मेरे इस दौरे के 3 लक्ष्य हैं। क्राइसिस मैनेजमेंट के लिए मैकेनिज्म तय करना, अलग-अलग क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाना और अमेरिका और साथी देशों के हितों को रखना है।

उन्होंने कहा- हम उन मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे जो हमारे लिए चिंता का विषय हैं। अगर हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच कॉम्पटीशन टकराव में न बदले तो इसके लिए बातचीत जरूरी है। ब्लिंकन ने बताया कि वो चीन में कैद रह रहे अमेरिकी नागरिकों का मुद्दा भी उठाएंगे। US हमेशा इन गिरफ्तारियों को राजनीति से प्रेरित बताता रहा है।

14 जून को फोन पर हुई थी बात, चीन ने कहा था- दखलंदाजी बंद करे अमेरिका
इससे पहले 14 जून को भी किन और ब्लिंकन ने फोन पर बातचीत की थी। इस दौरान किन ने अमेरिका को चीन के मामलों में दखलंदाजी नहीं करने को कहा था। किन ने कहा था कि अमेरिका को ताइवान पर चीन के रुख की इज्जत करनी चाहिए। उसे प्रतियोगिता के नाम पर चीन की सोवरनिटी, सुरक्षा और विकास में बाधा डालना बंद करना चाहिए।

चीनी विदेश मंत्री ने कहा था- तनाव बढ़ाने से किसी को कुछ हासिल होने वाला नहीं है। हमने इंडोनेशिया में आमने-सामने बातचीत की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अमेरिका पॉलिसी बदलने को तैयार नहीं है।

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