सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पहले एक गरीब का बच्चा जब सरकारी स्कूल में आता था तो उसके अंदर बहुत हीन भावना होती थी कि मैं कैसे स्कूल में जा रहा हूं। राजनीति में आने से पहले हम कई एनजीओ के साथ मिलकर झुग्गी-झोपड़ियों में जाकर काम करते थे। तब मैंने देखा कि एक ही घर के अंदर अगर एक बेटी और एक बेटा है, तो माता-पिता बेटी को सरकारी स्कूल में भेज देते थे और किसी तरह अपना पेट काटकर बेटे को किसी छोटे-मोटे प्राइवेट स्कूल में पढ़ने भेज देते थे। उस बेटी के अंदर वहीं से हीन भावना होने लगती थी कि मैं तो बेकार से स्कूल में जा रही हूं। उसे यह कभी लगता ही नहीं था कि मैं पढ़ाई करने स्कूल जा रही हूं। उस वक्त बस यही होता था कि लड़की अगर 8वीं या 12वीं तक पढ़ जाएगी तो उसकी शादी कर देंगे। लेकिन अब दिल्ली के अंदर जिस तरह के शानदार सरकारी स्कूल बन रहे हैं, ये बच्चों को अच्छा भविष्य देने जा रहे हैं। आज ऐसे ढेरों माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए भेज रहे हैं। अब सरकारी स्कूलों में आ रहे बच्चों के अंदर हीन भावना नहीं है, बल्कि वे जबरदस्त आत्मविश्वास के भरे हुए हैं कि हम भी जिंदगी में कुछ कर सकते हैं और हम भी भारत के विकास में शामिल होकर भारत माता के सपनों को साकार कर सकते हैं। अब हमारे बच्चों के अंदर यह आत्म विश्वास दिखाई देने लगा है।