नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायधीश सुशीला कार्की ने देश की कमान संभाल ली है. शुक्रवार शाम राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने राष्ट्रपति कार्यालय में 73 वर्षीय कार्की को पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर राष्ट्रपति पौडेल और नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री के अलावा, उपराष्ट्रपति राम सहाय यादव और प्रधान न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह रावत भी उपस्थित थे. सुशीला कार्की हिंसा प्रभावित नेपाल की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करेंगी. उनके सामने नेपाल को हिंसा की आग ने निकाल कर स्थिरता लाना सबसे पहली चुनौती होगी.
6 महीने में संसदीय चुनाव कराने का दायित्व
शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्रपति पौडेल ने कहा कि नई कार्यवाहक सरकार को छह महीने के भीतर नए संसदीय चुनाव कराने का दायित्व सौंपा गया है. इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, नेपाल के शीर्ष सैन्य अधिकारियों और ‘जेन जेड’ के प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद कार्की को अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए चुना गया.
नेपाल की पहली महिला प्रधान न्यायधीश हैं सुशीला कार्की
मालूम हो कि सुशीला कार्की 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की प्रधान न्यायधीश की भूमिका में थी. वह देश की न्यायिक व्यवस्था में सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं. सीजेआई रहते हुए कार्की ने चुनावी विवाद और न्याय से जुड़े कई अहम मामलों में फैसला दिया था. जिससे तब की सरकार अहसज हो गई थी.ऐसे में 30 अप्रैल 2017 को नेपाली कांग्रेस और माओवादी सेंटर ने सुशीला कार्की के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश कर दिया था. कार्की के खिलाफ यह प्रस्ताव सरकार द्वारा जारी किए गए एक आदेश को पलटने के बाद लाया गया था. लेकिन जनदवाब और संसद की कार्यवाही पर रोक लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद यह प्रस्ताव वापस ले लिया गया था. सरकार का यह प्रस्ताव वापस तो ले लिया गया लेकिन कार्की ने कठोर फैसला लेते हुए खुद की सीजेआई की कुर्सी छोड़ दी.
7 साल बाद अब नेपाल की जनता कार्की को सौंप दी कमान
और अब 7 साल बाद नेपाल की जनता ने पहले की सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद कार्की को देश की कमान सौंपने का फरमान सुना दिया. दरअसल सुशीला कार्की को करप्शन के मामलों में बेहद सख्त फैसले लेने वाली जज के रूप में जानी जाती है. उन्होंने अपने समय में कई ऐसे फैसले लिए जिससे नेपाल की जनता में उनके लिए इज्जत बढ़ती गई.