चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में भारत का दौरा किया, जिसे दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण घटना माना जा रहा है। इस यात्रा ने अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का भी खूब ध्यान खींचा है। 20 अगस्त को, चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने वांग यी की मौजूदा भारत यात्रा और उसके परिणामों पर विस्तार से जानकारी दी।
माओ निंग ने बताया कि 18 से 20 अगस्त तक चली इस यात्रा के दौरान वांग यी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर के साथ महत्वपूर्ण बातचीत की। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ चीन-भारत सीमा मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधियों की 24वीं बैठक में भी हिस्सा लिया।
इस यात्रा का मुख्य जोर दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने पर रहा। दोनों पक्षों ने आपसी सहयोग को और गहरा करने, बहुपक्षवाद का समर्थन करने और वैश्विक चुनौतियों का मिलकर सामना करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने एकतरफा धौंस-धमकी का विरोध करने पर भी एक साझा रुख अपनाया।
सीमा विवाद को लेकर भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। दोनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए नियमित प्रबंधन और नियंत्रण पर सहमति जताई। इसके अलावा, संवेदनशील बिंदुओं को उचित तरीके से हल करने और अनुकूल परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में सीमांकन वार्ता शुरू करने पर भी नई सहमति बनी है।
वांग यी ने अपनी बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि चीन और भारत, दो प्रमुख पड़ोसी और विकासशील देश होने के नाते, समान विचार और व्यापक हित साझा करते हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में, दोनों देशों के बीच संबंधों का रणनीतिक महत्व और सहयोग का मूल्य और भी बढ़ गया है।
भारतीय पक्ष ने भी इस यात्रा को सकारात्मक बताया। उनका मानना है कि भारत और चीन साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। एक स्थिर और सहयोगात्मक संबंध बनाए रखना दोनों देशों के हित में है। भारतीय पक्ष ने दोनों देशों के बीच आपसी समझ को बढ़ाने और सहयोग का विस्तार करने पर भी जोर दिया, ताकि दुनिया को भारत-चीन सहयोग की विशाल क्षमता का एहसास हो सके।
प्रवक्ता माओ निंग के अनुसार, दोनों पक्षों ने विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान और सहयोग को मजबूत करने, संबंधों के स्थिर और दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा देने, दोनों देशों के लोगों को बेहतर लाभ पहुंचाने, और मानव प्रगति के लिए चीन और भारत का उचित योगदान देने पर सहमति व्यक्त की।