ज्ञात रहे कि वह राज्य/UT/प्रांत /ज़िला जो विकास के मुख्य धारे से बहुत पीछे छूट जाते हैं उनको विकास के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए और वहां की उन्नति के लिए संविधान के अंतर्गत यह गुंजाइश रखी गई कि धारा 371 में पार्लियामेंट द्वारा संशोधन कर उस जगह को स्पेशल स्टेटस दिया जाए।
समय समय पर ऐसे संशोधन होते रहे हैं। महाराष्ट्र, गुजरात के कुछ ज़िलों और 2012 के आस पास कर्नाटक के कुछ ज़िलों को स्पेशल स्टेटस दिया गया है। इस में एक बोर्ड/ट्रिब्यूनल का गठन कर तमाम आवश्यकताओं का अवलोकन कर सरकार द्वारा स्पेशल बजट दिया जाता ताकि उस छेत्र/ज़िला/राज्य को मापदण्ड के मुताबिक विकसित किया जा सके। और स्थानीय सरकारी नौकरियों में छेत्र के निवासियों को आरक्षण भी दिया जाए।
अगर ऐसा होता है तो छेत्र का चौमुखी विकास बड़ी तेज़ी से करके पिछड़ेपन और मायूसी को दूर किया जा सकता है।
इन मांगों को रखते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इस मांग के द्वारा मैं श्रावस्ती -बलरामपुर की जनता के बीच मैं एक नया राजनीतिक विमर्श खड़ा कर रहा हूं। हमें पिछड़ेपन का दाग़ मिटा कर सुनहरे भविष्य का निर्माण करना है।