योग, एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जिसका मूल उद्देश्य शरीर, मन, और आत्मा के संतुलन को सुधारना है। योग को एक आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक अभ्यास के रूप में विकसित किया गया है और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल चुकी है।हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है, जब दुनिया भर में लोग योग के महत्व और लाभों को मनाते हैं और इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।योग की लोकप्रियता दुनिया के हर कोने में बढ़ रही है। इसका एक अच्छा उदाहरण चीन है, जहां योग की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है और यहां के लोग इसे अपने दैनिक जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।अनुमानित है कि 1 करोड़ से अधिक चीनी लोग नियमित रूप से योगाभ्यास करते हैं। साल 2017 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन में अधिकांश योग उत्साही महिलाएं हैं। स्वस्थ रहने और युवा दिखने की ललक चीन के तमाम शहरों में योग की तेजी से लोकप्रियता को बढ़ा रही है।चीन में योग ने इतनी तेजी से पैर पसारे हैं कि अब बीजिंग, शांगहाई, क्वांगचो जैसे बड़े-बड़े चीनी शहरों में योग सिखाने के अनेकानेक स्टूडियो भी खुल चुके हैं। न केवल चीन के महानगरों में बल्कि चीन के छोटे-छोटे शहरों में भी योग स्टूडियो खुले दिखाई दे जाएंगे।इतना ही नहीं, चीन में योग की लोकप्रियता को डिजिटलीकरण से भी काफी बल मिला है। हेल्थ और फिटनेस ऐप्स भी योग को अधिक लोकप्रिय और सुलभ बनाने में मदद कर रहे हैं।दरअसल, चीनी लोग यह जान चुके हैं कि योग के अभ्यास से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है, शरीर की लचीलापन बढ़ाई जा सकती है और तंत्रिका तंत्र को सुधारा जा सकता है।इसके अलावा, योग का अभ्यास करने से शारीरिक दुर्बलता कम होती है, स्पष्टता बढ़ती है और शरीर की संतुलन क्षमता बढ़ती है। अतः योग का अभ्यास करने वाले चीन लोग इसे अपने दिनचर्या में शामिल करके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने का प्रयास कर रहे हैं।
देखा जाए तो योग चीन में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है, और थाईछी भारत में चीन का प्रतिनिधित्व करने वाला एक सांस्कृतिक प्रतीक बन गया है। इस सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने चीन में योग के अभ्यास को बढ़ावा देने में मदद की है।साथ ही, योग भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका भी निभाता है। यह स्पष्ट है कि चीन में योग का अभ्यास भारत और चीन के सांस्कृतिक संबंधों से प्रभावित है।वहीं, चीन में योग का व्यावसायिक विकास आयातित ज्ञान पर आधारित है और इसका निर्माण स्थानीय और वैश्विक कारकों के संयोजन से भी हुआ है। इससे पता चलता है कि चीन में योग का अभ्यास स्थानीय और वैश्विक दोनों सांस्कृतिक कारकों से प्रभावित है।इसके अलावा, चीन में योग और स्वदेशी कलाओं के बीच आंतरिक संबंध भी हैं, जैसे ताओवादी थाईछी और पारंपरिक चीनी चिकित्सा। इससे साफ नजर आता है कि चीन में योग का अभ्यास स्थानीय सांस्कृतिक परंपराओं से काफी प्रभावित है।
कुल मिलाकर, चीन में योग का विकास स्थानीय और वैश्विक सांस्कृतिक कारकों के संयोजन से प्रभावित है, जिसमें भारत-चीन संबंध, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, वाणिज्यिक विकास, स्वदेशी कला और शामिल हैं। Thanks fro CMG