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December 23, 2024
National

“दिल्ली की शिक्षा क्रांति में हमारे टीचर्स को मिली ट्रेनिंग ने निभाई अहम भूमिका”:सीएम अरविंद केजरीवाल

दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आज सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने फिनलैंड, सिंगापुर और कैंब्रिज जाकर ट्रेनिंग ले चुके सरकारी स्कूलों के टीचर्स-प्रिंसिपल्स से संवाद किया और कहा कि दिल्ली की शिक्षा क्रांति में हमारे टीचर्स को मिली ट्रेनिंग ने अहम भूमिका निभाई है। दिल्ली की शिक्षा क्रांति की कई उपलब्धियां हैं। टेंट वाले स्कूल अब टैलेंट वाले स्कूल बन गए, शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ टीचर्स की ट्रेनिंग से स्कूल में माहौल बदला और नतीजे अच्छे आने लगे हैं। अब हमारे आलोचक भी मानते हैं कि दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुआ है। यह हमारे टीचर्स, प्रिंसिपल्स और दिल्ली के दो करोड़ लोगों की उपलब्धि है। अब हम चाहते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूल विश्व के स्कूलों से अच्छे बने। पंजाब में भी शिक्षा क्रांति पहुंच गई है। वहां हर विधानसभा में एक ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ चालू हो रहा है और टीचर्स का पहला बैच सिंगापुर ट्रेनिंग के लिए जा रहा है। सीएम ने कहा कि देश में सामंती सोच चली आ रही कि सरकारी स्कूलों में गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजने की क्या जरूरत है? पहली बार हम सरकारी स्कूलों के टीचर्स और प्रिंसिपल को दुनिया की अच्छी से अच्छी ट्रेनिंग दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आजादी के बाद एक योजना बना लेते कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे, तो अभी तक देश से गरीबी दूर हो गई होती। उन्होंने कहा कि अगर एलजी साहब भी टीचर्स के अनुभवों को सुनते तो उन्हें दिल्ली का एलजी होने पर गर्व होता। मैं एलजी साहब को टीचर्स के अनुभवों की वीडियो भेजूंगा। उम्मीद है कि इसके बाद वो फिनलैंड की फाइल नहीं रोकेंगे।
दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में आज सीएम श्री अरविंद केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम श्री  मनीष सिसोदिया ने फिनलैंड, सिंगापुर और यूके के कैंब्रिज जाकर ट्रेनिंग ले चुके दिल्ली सरकार के स्कूलों के टीचर्स, स्कूल प्रमुखों, टीचर एजुकेटर्स के साथ संवाद किया। इस दौरान विधायक आतिशी, विधायक मदन लाल, शिक्षा विभाग के सचिव अशोक कुमार, निदेशक हिमांशु गुप्ता, एससीईआरटी के निदेशक रजनीश गुप्ता और एडिशनल डायरेक्टर (स्कूल) डॉ. रीता शर्मा समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने अन्य गणमान्यों के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान शिक्षकों ने टॉप के विदेशी कालेजों व यूनिवर्सिटी में मिली ट्रेनिंग के अनुभवों को मुख्यमंत्री के साथ साझा किया।
*सभी टीचर्स ने स्वीकारा कि पहले वे खुद को मैनेजर समझते थे, लेकिन ट्रेनिंग में जाकर वे सीखे कि उन्हें मैनेजर नहीं, लीडर बनना है- अरविंद केजरीवाल
इस दौरान सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिक्षकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि दिल्ली में जब हमारी सरकारी बनी, तो हमारे दिल में यह जज्बा था कि हम सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीबों के बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा देंगे। उसी जज्बे के तहत हमने अपने सरकारी स्कूलों टीचर्स और प्रिंसिपल को अच्छी से अच्छी ट्रेनिंग देने के लिए देश-विदेश की ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में भेजना शुरू किया। लेकिन इस तरह से संवाद करने का मौका पहली बार मिला है कि आप वहां से क्या सीख कर आए, आपने अपने स्कूलों में बच्चों के साथ कैसे उसको लागू किया। आज मुझे आपके अंदर आत्मविश्वास, जज्बा, प्रेरणा और उर्जा देखने को मिली, अगर वो आधी भी बच्चों में ट्रांसफर हो रही होगी, तो मुझे लगता है कि सरकारी स्कूल अपने आप बहुत अच्छे हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सबने एक बात जरूर बोला कि पहले हम अपने आपको मैनेजर समझते थे, ट्रेनिंग में जाकर हम लोगों ने सीखा कि हमें मैनेजर नहीं, लीडर बनना है। लीडर वो होता है, जो जबरदस्ती नहीं करता है, वो अपने आचरण और शब्दों से सारे लोगों को प्रेरित करता है। अगर हमारे प्रिंसिपल ने अपने आपको लीडर समझना चालू कर दिया, तो जाहिर तौर पर आपने एक बहुत बड़ी क्रांति के लिए उस स्कूल के सारे बच्चों और टीचर्स को प्रेरित करना चालू कर दिया।
*मैं चाहता हूं कि मेरे टीचर्स और प्रिंसिपल विदेश जाएं, मेरे विदेश जाने क्या होगा? हम अपने टीचर्स को पूरी दुनिया का अनुभव देना चाहते हैं- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे देश में हमेशा से एक सामंतवादी सोच चली आ रही है कि सरकारी स्कूलों में तो गरीबों के बच्चे पढ़ते हैं। गरीबों के बच्चों को पढ़ाने वाले बच्चों के टीचर्स को विदेश भेजने की क्या जरूरत है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का हवाला देते हुए कहा कि पहले ट्रेनिंग के नाम पर सेमीनार होते थे। कोई स्टेडियम या बड़ा हॉल ले लेते थे, उसमें हजार-डेढ हजार टीचर्स और प्रिंसिपल को इकट्ठा कर लेते थे और बाहर से एक वक्ता को बुला लेते थे, जो कुछ देर तक भाषण देकर चला जाता था। जब आप उस हॉल से बाहर निकलते थे, तब आधी चीजें याद रहती थी और आधी भूल जाती थीं। एक टीचर्स के अनुभवों पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब आप वहां जाकर ट्रीनिटी की लैब देखते हैं, न्यूटन ने जिस पेड़ से सेव गिरा, उस पेड़ को देखते हैं, स्टीफन हॉकिंग का कॉलेज देखते हैं, तो वो जिंदगी भर का अनुभव होता है। सेमीनार के जरिए उसका अनुभव नहीं किया जा सकता। सेमीनार में ज्ञान तो मिलता है, लेकिन अनुभव नहीं मिलता है। अनुभव और ज्ञान में बहुत फर्क है। कान से सुना हुआ ज्ञान तो कुछ घंटे या दिन तक रहता है, लेकिन उसके बाद वो खत्म हो जाता है। फिनलैंड, कैंब्रिज या सिंगापुर जाकर जो अनुभव मिलता है, वो जिंदगी भर साथ रहता है। इसके साथ ही वहां से ढेर सारी उर्जा अलग से मिलती है। पहले यह था कि सरकारी स्कूलों के टीचर्स-प्रिंसिपल को बाहर भेजने की क्या जरूरत है? उसको हमने तोड़ा है। पहली बार हम दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर्स और प्रिंसिपल को दुनिया की अच्छी से अच्छी ट्रेनिंग दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जी और उनकी टीम को दुनिया भर में जहां भी शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम सुनने को मिलता है, उसमें वे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को भेजते हैं। हम नहीं जाते हैं। मुझे मुख्यमंत्री बने 8 साल हो गए हैं। इन 8 सालों में मात्र दो बार विदेश गया हूं। एक बार जब मदर टेरेसा का निधन हुआ तब इटली गया था और एक बार साउथ कोरिया गया था। मेरा मकसद है कि टीचर्स विदेश जाएं, मेरे विदेश जाने क्या होगा? बहुत सारे नेता पांच साल में पूरी दुनिया का चक्कर लगा आते हैं। मुझे विदेश जाने का शौक नहीं है। मैं चाहता हूं कि मेरे टीचर्स और प्रिंसिपल विदेश जाएं। हम आपको पूरी दुनिया का अनुभव देना चाहते हैं।
*दुनिया भर में जितनी भी बेस्ट प्रैक्टिसेज हैं, हम उन सभी का एक्पोजर अपने टीचर्स को देंगे- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमें अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की स्पर्धा देश के स्कूलों से नहीं करनी है, बल्कि दुनिया के स्कूलों से करनी है। यह हमारा सपना है। एक समय था, जब हम चाहते थे कि दिल्ली के सरकारी स्कूल, दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों से अच्छे बने, वो बन गए। पिछले तीन-चार साल में करीब चार लाख बच्चों ने प्राइवेट स्कूल से अपने नाम कटवा कर सरकारी स्कूलों में नाम लिखवाए हैं। यह सब आप लोगों की मेहनत है। अब हम चाहते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूल विश्व के सबसे अच्छे स्कूल बने। पूरी दुनिया भर से लोग अपने बच्चों को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ाएं। अगर प्राइवेट स्कूलों के टीचर्स विदेश जा सकते हैं, तो हमारे सरकारी स्कूलों के टीचर्स और प्रिंसिपल को विदेशों की ट्रेनिंग क्यों नहीं देनी चाहिए। दुनिया भर में जितनी बेस्ट प्रैक्टिसेज हैं, उन सभी का एक्पोजर हम अपने टीचर्स को देंगे।
*अगर गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलनी चालू हो गई तो एक पीढ़ी के अंदर देश से गरीबी दूर की जा सकती है- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जबरदस्त सुधार हुआ है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सबकुछ अच्छा हो गया है। अभी बहुत कुछ हासिल करना बाकी है। इसके लिए हम लोग अब चल पड़े हैं, ये सब मानते हैं। हमारे आलोचक भी मानते हैं कि दिल्ली के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में एक जबरदस्त बदलाव आ रहा है। यह बदलाव हमने नहीं, बल्कि टीचर्स, प्रिसिंपिल्स, बच्चों और उनके पैरेंट्स ने किया है। यह दिल्ली के दो करोड़ लोगों की उपलब्धि है। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है। दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने शिक्षा के क्षेत्र में जो काम किया है, इसने पूरे देश को एक उम्मीद दी है कि सरकारी स्कूलों में गरीबों के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल सकती है। मैं समझता हूं कि अगर गरीबों के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलनी चालू हो गई तो एक पीढ़ी के अंदर देश से गरीबी दूर की जा सकती है। आप सोच कर देखिए कि एक गरीब, प्लंबर, रिक्शेवाले, मजदूर या किसान के बच्चे के पिता अभी 5-10 हजार रुपए महीना कमाते हैं और वो इंजीनियर बन जाता है। इंजीनियर बनने ही उसकी शुरूआती सैलरी दो लाख रुपए महीना होगी और एक परिवार की गरीबी दूर हो गई। हमें गरीबी से जूझते हुए 75 साल हो गए। गरीबी हटाने के लिए हम लोगों ने पता नहीं कितने नारे लगा लिए और तरह-तरह की योजना बना लिए। अगर आजादी के बाद एक ही योजना बना लेते कि हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे, तो अभी तक देश से गरीबी दूर हो गई होती। सिर्फ गरीबी ही नहीं दूर होती, बल्कि इस देश के हर परिवार के अंदर अमीरी आ जाती।
*अगर हम बिल्डिंग अच्छी बना लेते, टीचर्स को विदेश घूमा लाते, लेकिन नतीजे अच्छे नहीं आते, तब कहते कि केजरीवाल पैसे बर्बाद कर रहा है- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने ‘शिक्षा क्रांति में क्या हुआ’ जैसे सवाल पूछने वाले लोगों को जवाब देते हुए कहा कि शिक्षा क्रांति में बहुत कुछ हुआ। पिछले 7-8 साल में प्राप्त उपलब्धि का जिक्र करते हुए कहा कि 2015 से पहले दिल्ली में सरकारी स्कूलों का बुरा हाल था। ढेरों स्कूल टेंट में चला करते थे। किसी भी इलाके में चले जाते थे, वो कहते थे कि टेंट वाला स्कूल। अब वो सारे टेंट वाले स्कूल टैलेंट वाले स्कूल बन गए हैं। पहले सरकारी स्कूलों की छतें टपका करती थीं, दीवारें टूटी पड़ी थीं, डेस्क नहीं थे। बच्चे जमीन पर बैठा करते थे। स्कूल में टॉयलेट और पीने का पानी नहीं था। सुरक्षा नहीं थी और बच्चे जब मर्जी होता था, स्कूल से भाग जाते थे। आज यह सब बदल गया है। दिल्ली के स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर जबरदस्त निवेश हुआ है और आज हमारे सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग्स, इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत अच्छे प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर है। मैं उन प्राइवेट स्कूलों की बात नहीं कर रहा हूं, जो पूरी तरह वातानुकूलित हैं। ये स्कूल अलग हैं। लेकिन जितने भी आम प्राइवेट स्कूल हैं, उनसे हमारे सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत शानदार है। हमारे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का माहौल बदला है। जब से प्रिंसिपल और टीचर्स आईआईएम, विदेशों में ट्रेनिंग करने जाने लगे हैं और वहां से प्रेरित होकर और आत्मविश्वास से भरे हुए आते हैं, तो उनमें बच्चों को पढ़ाने की इच्छा जागती है। पहले पूरी व्यवस्था इतनी खराब थी कि पढ़ाने का मन ही नहीं करता था। मैं बहुत सारे बच्चों से बात की है, जो प्राइवेट स्कूलों को छोड़कर हमारे स्कूलों में आए हैं। उन्होंने दो चीजों की तारीफ की है। उन बच्चों ने बताया कि जो सुविधाएं हमें सरकारी स्कूलों में मिल रही है, वो सुविधाएं अब प्राइवेट स्कूलों में नहीं मिल रही है। दूसरा, जितनी तन्मयता के साथ टीचर्स हमें पढ़ाते हैं, उतनी तन्मयता से प्राइवेट स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं। बच्चे प्रिंसिपल और टीचर्स की खूब तारीफ करते हैं। यह बहुत बड़ी बात है। इसका परिणाम यह हुआ है कि हमारे स्कूलों के नतीजे अच्छे आने लगे हैं। अगर हम बिल्डिंग अच्छी बना लेते, टीचर्स को विदेश घूमा लाते, लेकिन नतीजे अच्छे नहीं आते और बच्चे फेल हो रहे होते, तब कहते कि क्या फायदा है? केजरीवाल पैसे बर्बाद कर रहा है। लेकिन हमारे सभी टीचर्स ने मेहनत करके नतीजे शानदार कर दिए। दिल्ली के सरकारी स्कूलों के नतीजे 99.7 फीसद आ हैं। पूरे देश में इतने नतीजे कभी नहीं आए। 75 साल में कहीं किसी राज्य में 99.7 फीसद नतीजे नहीं आए हैं। अब हमारे स्कूलों के बच्चे बिना कोचिंग के जेईई पास कर रहे हैं। मैंने भी आईआईटी के पेपर दिए थे, लेकिन मैंने दो-दो कोचिंग ली थी। बिना कोचिंग के मैं सोच भी नहीं सकता था कि मेरा एडमिशन होगा। हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चे बिना कोचिंग के आईआईटी, नीट और ऑल इंडिया मेडिकल के अंदर एडमिशन ले रहे हैं। यह चमत्कार से कम नहीं है। हमारे शिक्षकों ने बहुत बड़ा चमत्कार किया है। इसके
*दिल्ली में शिक्षा का पूरा नैरेटिव बदल रहा है और सरकारी स्कूलों में बिजनेस ब्लॉस्टर्स, हैप्पीनेस क्लासेज, देशभक्ति क्लासेज समेत अन्य नए-नए कोर्सेज चालू हो रहे हैं- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे सरकारी स्कूलों में बिजनेस ब्लॉस्टर्स, हैप्पीनेस क्लासेज, देशभक्ति क्लासेज समेत अन्य नए-नए कोर्सेज चालू हो रहे हैं। दिल्ली में शिक्षा का पूरा नैरेटिव बदल रहा है। शिक्षा का मतलब यह नहीं है कि घोटा मार लो। अब वो बदल रहा है। एक बार 11वीं का एक बच्चे ने मुझसे कहा कि जब मैं 10वीं में था, तब मुझे बहुत डर लगता था। मैं पढ़ाई में बहुत खराब हूं। लेकिन जब से बिजनेस ब्लॉस्टर्स कार्यक्रम शुरू हुआ है, तब से लगता है कि नंबर अच्छे आए या न आएं, अपना धंधा तो कर ही लूंगा। अब पूरे सिस्टम से वो तनाव खत्म हो गया है। जिस चीज में अच्छे हैं, वो करेंगे। फिजिक्स में अच्छे हैं, फिजिक्स करेंगे, मैथ में अच्छे हैं, मैथ करेंगे। म्यूजिक में अच्छे हैं, तो म्यूजिक में करेंगे, नही ंतो बिजनेस कर लेंगे। यह सारा चमत्कार हमारे शिक्षकों और प्रिंसिपल ने करके दिखाया है। आप लोग जो विदेशों से सीख कर आए हैं, उसकी वजह से यह सब हो पा रहा है। ट्रेनिंग की प्रक्रिया अभी जारी है। ऐसा नहीं है कि एक बार सिंगापुर भेज दिया, तो फिर नहीं भेजेंगे। बल्कि आपको बार-बार भेजेंगे। लोग इसको खर्चा मानते हैं। मगर मैं इसको निवेश मानता हूं। देश में चार पूल कम बना लो, चार सड़कें कम बना लो, अगर आपने अपने टीचर्स व प्रिंसिपल को बेस्ट एक्पोजर और ट्रेनिंग दे दी, तो आपने देश का भविष्य बना दिया। फिर ये बच्चे बड़े होकर पता नहीं कितनी सड़कें बना लेंगे।
*हमारे देश में एक प्रवृत्ति है कि कोई अच्छा काम करे, तो उसको लोग रोकते हैं, यह अच्छी बात नहीं है, इससे देश आगे नहीं बढ़ेगा- अरविंद केजरीवाल
सीएम श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आजलक हमारे देश में एक अजीब प्रवृत्ति है कि कोई भी अच्छा काम करे, तो चार लोग उसकी टांग खींचने वाले होते हैं। उनमें इतनी जलन पैदा होती है कि सारे जल-भून कर राख हो जाते हैं कि यह अच्छा काम है, इसको रोको। वो ये नहीं सोचते हैं कि ये अच्छा काम कर रहा है, तो मैं भी इससे अच्छा काम करूं। जब आप विदेश में जाकर स्टीफन हॉकिंग का कॉलेज देखा, तो आपके मन में यह इच्छा पैदा होनी चाहिए कि मैं वापस जाकर अपने देश के अंदर 10 स्टीफन हॉकिंग पैदा करूंगा। ये होनी चाहिए। हम देखते कि अगर दिल्ली वाले अच्छा काम कर रहे हैं, तो इनको बदनाम करो। यह अच्छी चीज नहीं है, इससे देश आगे नहीं बढ़ेगा। हमें एक-दूसरे से सीखना है। मैं तो बहुत बार सबको कह चुका हूं कि मुझे पार्टीबाजी में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं राजनीति में अपनी पार्टी चलाने नहीं आया था। मुझे आम आदमी पार्टी से क्या लेना-देना है। अगर कोई भाजपा-कांग्रेस शासित राज्य का मुख्यमंत्री मुझे बुलाकर कहेगा कि हमको भी सीखाओ, हमें स्कूल ठीक करने हैं, तो मैं मनीष सिसोदिया को थोड़े दिन के लिए उधार में दे दूंगा। हम चाहते हैं कि पूरे देश में शिक्षा सुधरे। हम पूरे देश को आगे लेकर जाना चाहते हैं। लेकिन ये फिर भी रोकेंगे, क्योंकि उनमें एक जलन है। चाहे कोई कितनी भी अलोचना करे, लेकिन आप लोग हतोत्साहित मत होना। मैं और दिल्ली के दो करोड़ लोग आपके साथ हैं। दिल्ली के बच्चे और पूरा देश आपके साथ है। पूरा देश देख रहा है और पूरे देश के अंदर कौतुहल है। मैं चुनाव में गुजरात गया था। वहां लोग पूछते थे कि सुना है दिल्ली में स्कूल बड़े अच्छे हो गए है। वाकई में हुई हैं क्या? पूरे देश में एक जिज्ञाता तो पैदा हो गई है कि दिल्ली में कुछ गजब ही हो रहा है। आप लोगों ने पूरे देश के अंदर जिज्ञासा पैदा की है। अगर कोई कह रहा है कि दिल्ली में तो कुछ नहीं हो रहा है, तो इससे कभी हतोत्साहित मत होना। उनको कहने दो, हम अर्जुन की आंख की तरह शिक्षा के उपर अच्छा काम करते रहेंगे और बच्चों का भविष्य बनाते रहेंगे। मैं तो चाहता हूं कि यह पूरे देश में फैले। अब ये शिक्षा क्रांति पंजाब में भी पहुंच गई है। पंजाब में ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ चालू हो रहे हैं। पंजाब में 117 विधानसभाएं हैं और हर विधानसभा में एक-एक स्कूल चालू हो रहे हैं। पंजाब का भी 36 टीचर्स का पहला बैच सिंगापुर जा रहा है। मुझे पूरी उम्मीद है कि अगले पांच साल में पंजाब के सारे स्कूल बदल देंगे और एक दिन ऐसा आए, जब हम सब मिलकर पूरे देश के सारे स्कूल बदलेंगे।
*हमारे टीचर्स ने दिल्ली में अच्छी शिक्षा देने की शुरूआत की है, यह उर्जा पूरे देश में फैलेगी और सभी इससे प्रेरणा लेंगे- अरविंद केजरीवाल*
सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत तभी आगे बढ़ेगा, जब हम बच्चों को अच्छी शिक्षा देंगे। दुनिया की किसी भी विकसित देश को हम देख सकते हैं। दुनिया में एक भी ऐसा विकसित देश नहीं है, जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिए बिना अमीर बन गया हो। अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिए बिना आप अमीर बन ही नहीं सकते हैं। आपको सबसे पहले अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देनी पड़ेगी। एक कोई गरीब देश बता दो, जिसने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे दी और गरीब रह गया हो। अगर आपने अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दे दी, तो आप अमीर बनोगे ही, कोई ताकत आपको नहीं रोक सकती है। आप सभी लोगों ने मिलकर दिल्ली के अंदर अच्छी शिक्षा देने की शुरूआत की है। मैं समझता हूं कि यह उर्जा पूरे देश में फैलेगी और सब लोग इससे प्रेरणा लेंगे।
*दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जो इतनी बड़ी क्रांति हुई है, उसमें टीचर्स की ट्रेनिंग ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है- अरविंद केजरीवाल
वहीं, मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम श्री  अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अभी तक करीब 1400 टीचर्स और प्रिंसिपल विदेशों में ट्रेनिंग करने के लिए जा चुके हैं। हमने उन्हें दुनिया की सबसे अच्छी ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट कैंब्रिज, सिंगापुर, फिनलैंड में ट्रेनिंग के लिए भेजा। इसके अलावा, हमने आईआईएम के अंदर भी अपने टीचर्स की ट्रेनिंग कराई है। दिल्ली में शिक्षा के क्षेत्र में जो इतनी बड़ी क्रांति और सुधार हुआ है, उसमें टीचर्स की ट्रेनिंग ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। ट्रेनिंग से ये टीचर्स बहुत ही प्रेरित और आत्मविश्वास के साथ आए। साथ ही नए-नए विचार भी लेकर आए। हम लोग चाहते हैं कि दिल्ली देश के स्कूलों से नहीं, बल्कि दुनिया के स्कूलों के साथ मुकाबला करें। हम लोग प्रतिबद्ध हैं कि पूरी दुनिया में जहां भी शिक्षा के उपर बेस्ट प्रैक्टिसेज होंगी, हम अपने टीचर्स व प्रिंसिपल को सीखने के लिए वहां भेजेंगे। हमने ट्रेनिंग ले चुके टीचर्स से उनके अनुभवों को जाना। उनके बहुत अच्छे अनुभव थे। अब यह पूरी एक्सरसाइज पंजाब में भी शुरू हो चुकी है। पंजाब के 36 टीचर्स व प्रिंसिपल सिंगपुर ट्रेनिंग के लिए जा रहे हैं। वहां पर 117 स्कूल ऑफ एमिनेंस शुरू हो रहे हैं। पंजाब के अंदर भी अब शिक्षा क्रांति का आगाज हो चुका है। मेरा यह मानना है कि भारत के अंदर अगर हम हर बच्चे को अच्छी शिक्षा दे दें, तो एक पीढ़ी के अंदर हम इसे देश से गरीबी दूर कर सकते हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने एलजी से अपील करते हुए कहा कि टीचर्स ने आज जो अपने अनुभवों को साझा किया, अगर एलजी साहब भी उसे सुनते तो उनको गर्व होता कि वो उस दिल्ली के राज्यपाल हैं, जिस दिल्ली ने शिक्षा के क्षेत्र में इतनी बड़ी क्रांति की है। मैं टीचर्स के अनुभवों को एलजी साहब को भी साझा करूंगा और उम्मीद करता हूं कि इसके बाद वो टीचर्स को फिनलैंड जाने की फाइल को नहीं रोकेंगे।
*सरकारी स्कूलों का वातावरण बदलने में शिक्षकों ने और शिक्षकों को तैयार करने में ट्रेनिंग ने सबसे अहम भूमिका निभाई है- मनीष सिसोदिया
इस अवसर पर डिप्टी सीएम एवं शिक्षा मंत्री श्री  मनीष सिसोदिया ने कहा कि जिस तरह दिल्ली सरकार के स्कूलों का वातावरण बदला है, उसमे सबसे महतवपूर्ण भूमिका शिक्षकों ने निभाई है और शिक्षकों को तैयार करने में सबसे अहम भूमिका शिक्षकों की ट्रेनिंग ने निभाई है। शिक्षकों को शानदार ट्रेनिंग दिए बिना कभी भी क्वालिटी शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि 2015 से पहले शिक्षकों की ट्रेनिंग के नाम पर सिर्फ दो घंटे का सेमीनार होता था, जहां एक बड़े से हॉल में कोई वक्ता आकर अपना लेक्चर देता था और उसे ही ट्रेनिंग मान लिया जाता था। लेकिन 2015 के बाद से सीएम अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने शिक्षकों की ट्रेनिंग के मायने बदल दिए है। 2015 के बाद दिल्ली सरकार के स्कूलों में शानदार बदलाव और बच्चों के रिजल्ट में ऐतिहासिक सुधार हुए और यह सब शिक्षकों की ट्रेनिंग की वजह से ही संभव हो पाया। अच्छे टीचर्स ही बच्चे का बेहतर भविष्य तैयार कर सकते है और बिना टीचर्स ट्रेनिग के बच्चों को मिलने वाली शानदार शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती।
*हमने टीचर्स को शानदार ट्रेनिंग दिलवाई और आगे भी अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए देश-विदेश में ट्रेनिंग कराते रहेंगे- मनीष सिसोदिया
डिप्टी सीएम ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने अपने प्रिंसिपल्स को राष्ट्रीय स्तर पर भी आईआईएम में शानदार ट्रेनिंग दिलवाई। पिछले सात साल में दिल्ली सरकार ने अपने स्कूल प्रमुखों को प्रोफेशनल डेवलपमेंट के लिए सात अगल-अगल ट्रेनिंग की व्यवस्था की। अपने शिक्षकों को शानदार ट्रेनिंग देने के किए हमने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के नेतृत्व में हावर्ड तक का सफ़र तय किया है और इसे आगे भी इसे जारी रखेंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकों व स्कूल प्रमुखों को ट्रेनिंग देने से उनका आत्मविश्वास बढ़ता है, जिससे वो बच्चो के भविष्य के बारे में सही निर्णय ले पाते हैं। स्कूल में पढ़ने-पढ़ाने का शानदार माहौल बना पाते हैं। यही कारण है कि हमने अपने शिक्षकों को शानदार ट्रेनिंग दिलवाई और आगे भी दिल्ली के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षकों की देश-विदेश में ट्रेनिंग कराते रहेंगे।
*विदेश जाकर ट्रेनिंग ले चुके टीचर्स ने साझा किए अपने अनुभव
*कैंब्रिज से सीखा, कैसे टेक्नोलॉजी क्लास रूम को बदल रही है- डॉ. राजपाल सिंह
शिक्षक डॉ. राजपाल सिंह ने कहा कि कैंब्रिज दौरे के दौरान मुझे पहली बार ब्लेंडेड एप्रोच ऑफ लर्निंग के बारे में पता चला। मैं यह देखने के लिए बहुत उत्सुक था कि कैसे टेक्नोलॉजी क्लास रूम को बदल रही है। जब लॉकडाउन की घोषणा हुई थी तब मैं द्वारका के एक स्कूल में काम कर रहा था। वहां 1 अप्रैल से ही बच्चों के लिए आनलाइन क्लास रूम पूरी तरह से तैयार था, जबकि उस दौरान किसी भी स्कूल ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू नहीं की थी। पर उस वक्त भी हम हमेशा की तरह ही टाइम टेबल को फॉलो कर रहे थे। यह मुझे कैंब्रिज दौरे के दौरान सीखने का मौका मिला था, जिसे लागू किया।
*हम बच्चों को ग्लोबल आउटलुक तब तक नहीं दे सकते जब तक टीचर्स ग्लोबल एक्सपोजर नहीं पाएंगे- मुरारी झा
टीचर मुरारी झा ने बताया कि 2018 मार्च में मैं सिगांपूर गया था। करीब 20-21 टीचर्स विभाग की तरफ से वहां गए थे। मैं वहां की लर्निंग को लिखकर और फोटोज के जरिए सोशल मीडिया पर साझा कर रहा था। हमारे पास पूरे देश से लोगों के मैसेज आते थे कि आज तक नहीं देखा कि सरकारी स्कूल के टीचर्स इस तरह से विदेश यात्रा में जाते हैं। मुझे लगता है कि कुछ नहीं बने तो टीचर्स बन गए वाली सोच अब बदल रही है। हम अपने बच्चों को ग्लोबल आउटलुक तब तक नहीं दे सकते है जब तक हमारे टीचर्स ग्लोबल एक्सपोजर नहीं पाएंगे।
*अब कोई बच्चा स्कूल नहीं आता है, तो हम उसके घर जाकर पता करते हैं, पहले ऐसा नहीं था- ज्योत्सना
टीचर ज्योत्सना ने बताया कि मुझे 2018 में कैंब्रिज स्कूल जाने का मौका मिला। मुझे सबसे अच्छी बात यह लगी कि ये बहुत बाल केंद्रित है। हमारे यहां यह होता है कि अगर बच्चा स्कूल नहीं आ रहा है, तो हम वाइल कार्ड जारी कर देते हैं। लेकिन वहां पर अगर बच्चा के ई-रेगुलर होने पर टीचर घर पर जाकर पता लगाता है कि बच्चे के ई-रेगुलर होने की वजह क्या है। यह बहुत ही चाइल्ड सेंट्रिक है कि अगर बच्चा किसी भी वजह से स्कूल नहीं आ रहा है, तो बच्चे के घर पर जाकर विजिट करने की जिम्मेदारी है, ताकि पता चल सके कि बच्चे को क्या प्रॉब्लम है। ये बदलाव हमारे स्कूल में आया।
*फिनलैंड से सीखकर हमने क्लास में ‘छात्र स्वायत्तता और ओनरशिप’ को लागू किया- दीपिका मल्होत्रा
असिस्टेंट प्रो. दीपिका मल्होत्रा ने बताया कि मुझे फ़िनलैंड जाने का मौका मिला। फ़िनलैंड का अनुभव अभी तक हमारे जहन में है। फिनलैंड में दो चीजें ‘छात्र स्वायत्तता और ओनरशिप’ मुझे सबसे अच्छी लगीं। हमने अपने क्लास में इसे लागू किया है। अपनी ट्रेनिंग में भी हम उसे लेकर आए। ट्रेनिंग में इसका इम्पेक्ट नजर आ रहा है। हमने बच्चों में स्किल को बढ़ाने के लिए अलग-अलग क्लब भी बनाए। उन क्लब के माध्यम से बच्चों में स्किल का विकास भी हुआ और उनके माइंडसेट पर भी काम हुआ। छात्र स्वायत्तता के तहत हमने बच्चों को स्वतंत्रता दी कि किस तरह वो पढ़ना चाहते हैं। क्या वो खुद से पढ़कर चर्चा करना चाहते हैं। क्लास में इस तरह की आजादी हमारे लिए एक बेहतरीन अनुभव था। इसके बेहतर रिजल्ट भी हमें देखने को मिल रहे हैं।
*मैं सिंगापुर से संबंधित गतिविधियां अपनी क्लास में बच्चों से करवाती हूं- आशा
हिंदी की टीचर आशा ने बताया कि 2017 में मुझे सिंगापूर जाने का मौका मिला। वहां जो कुछ भी मैंने देखा और महसूस किया वो आजतक मेरे दिलो-दिगाम में छाया हुआ है। आज भी मैं अपनी कक्षा में जाती हूं तो वहां से जुड़े अपने अनुभव बच्चों को बताती हूं। वहां से संबंधित गतिविधियां जब मुझे बच्चों को करवानी होती है तो उनसे कहती हूं कि पता है कि सिंगापूर के क्लास रूम में बच्चे इस गतिविधि को इस तरह से करते हैं? आप लोग उनसे कम नहीं हैं। बच्चें बड़े उत्साह से उस एक्टिविटी को पूरा करते है। मेरी पूरी ओनरशिप बच्चों की होती है। मेरी 80-90 फीसद क्लास मेरे बच्चे चलाते हैं। मैं एक फैकेल्टी इंचार्ज होने के नाते अपने फैकल्टी के टीचर्स को भी ये सभी एक्टिविटिज सीखाती हूं।
*मैंने कैंब्रिज जाकर टीचिंग के अलावा डेडिकेशन, डिवोशन, पंक्चुअलिटी सीखी- ब्रिजेश कुमार
टीचर ब्रिजेश कुमार मिश्रा ने बताया कि मैं साल 2019 में कैंब्रिज गया था, वहां जाने के बाद टीचिंग के अलावा और भी बहुत सी चीजें सीखी। जैसे कि डेडिकेशन, डिवोशन, पंक्चुअलिटी आदि। वहां पर हमने एनक्वायरी बेस्ड लर्निंग सिस्टम देखा कि बच्चे सवाल पूछ रहे हैं और उसका जवाब टीचर्स दे रहे है।  टीचिंग में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बारे में भी पूरी जानकारी मिली। मेरे लिए वहां पर डिग्निटी ऑफ वर्क की बेहद बड़ी लर्निंग रही। इसे बच्चों के साथ साथ समाज में भी बता सकते हैं।
*कैंब्रिज जाकर मुझे लगा कि मैं एक सच्चा लीडर बन गया हूं- अवधेश झा
अवधेश झा ने बताया कि मैं साल 2016 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी गया था। वहां से मैं पूरी तरह से ट्रांसफॉर्म होकर लौटा। मुझे लगा कि मैं एक सच्चा लीडर बन गया हूं। उसके बाद मैंने टीचर्स के साथ बैठकर काम को अलग-अलग बांट दिया। मैंने टीचर्स से कहा कि अगर अच्छा काम है तो खुद के काम में काउंट कर देना। अगर कोई काम न हो पाए तो वो मेरे नाम से काउंट में डाल देना। ये मेरी लर्निंग हुई और इसके बाद बहुत से काम किए। इसके अलावा यह भी सीखने को मिला कि अगर बच्चे को फायदा न पहुंचे, तो हमारे ज्ञान से क्या फर्क पड़ता है। इसलिए बच्चों ने जिस तरह की मांग की, हमने उसे पूरा करने की कोशिश की।
*कैंब्रिज जाकर मैंने सीखा कि क्या आप अपने छात्रों और उनकी जरूरतों के बारे में जानते हैं- ममता सलूजा
टीचर ममता सलूजा ने कहा कि मैं जुलाई 2022 में कैंब्रिज गई थी। वहां से बहुत सारी चीजें सीखने को मिली। दो चीजें मैंने स्कूल में लागू कर दी है। सबसे पहले मैंने यह देखा कि जबतक मुझमें सीखने की चाह नहीं होगी, तब तक मैं वो चाह स्कूल में किसी टीचर्स और बच्चें में नहीं ला सकती। इसलिए मैंने अपना टाइटल बदलकर लीड लर्नर रखा है। मेरे आफिस के बाहर भी वहीं नेमप्लेट है। ऑफिस की जगह लर्नर हब लिखा हुआ है। हमने यह भी सीखा कि क्या आप अपने छात्रों को जानते हैं, क्या उनकी जरूरतों के बारे में जानते हैं, आप कैसे उन जरूरतों को पूरा कर रहे हैं और आपको कैसे मालूम कि जो भी आप डिलिवर कर रहें है वो प्रभावी है या नहीं?

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